प्रेम, श्रृद्धा, विश्वास बिना- कवि बाबूराम विमल क्या होगा ? प्रेम, श्रृद्धा, विश्वास बिना- कवि बाबूराम विमल क्या होगा ?
हिंदु मुस्लिम सिक्ख इसाई करते करते मरते हैं एकता प्रेम निभा पाते नहीं। हिंदु मुस्लिम सिक्ख इसाई करते करते मरते हैं एकता प्रेम निभा पाते नहीं।
और "साहील" वो समझा की, मुझे अपनेदम हराया था। और "साहील" वो समझा की, मुझे अपनेदम हराया था।
एक दिन बेटे ने मांगी मुझसे एक सफ़ाई, कि पापा किस भाषा में की है आपने पढ़ाई ? एक दिन बेटे ने मांगी मुझसे एक सफ़ाई, कि पापा किस भाषा में की है आपने पढ़ाई ?
मैं सोचता हूँ, बहुत सोचता हूँ फिर सोचता हूँ कि क्यों सोचता हूँ। मैं सोचता हूँ, बहुत सोचता हूँ फिर सोचता हूँ कि क्यों सोचता हूँ।
आशा और उम्मीदों के धागों को जोड़ों कोशिशों से जब तक है सांसें बुलंद रखो इरादे। आशा और उम्मीदों के धागों को जोड़ों कोशिशों से जब तक है सांसें बुलंद र...